हिंदी कहानियां - भाग 193
पीलू का बर्थडे
पीलू का बर्थडे अप्पू हाथी रोज की तरह अकेला बैठा था। अब वह किसी के घर नहीं जाता था और चुपचाप अकेला ही बैठा रहता था, क्योंकि वह जब भी मजाक के मूड में आता, तो दौड़ने-भागने में उसके भारी-भरकम शरीर के नीचे दबकर बहुत सारे खिलौने टूट जाते थे। कुछ दिनों पहले ही वह पीलू हिरन के घर खेलने के लिए गया था। पीलू के घर पर मोंटू बंदर, बिन्नी बकरी, व्हाइटी बिल्ली और बनी भालू भी थे। तभी पीलू ने अलमारी से बहुत सुंदर वीडियो गेम निकाली, जो उसके मामा सिंगापुर से लेकर आए थे। लाल और नीले रंग की वीडियो गेम रोशनी में चमचमा रही थी। सभी दोस्त उसको हाथ में लेकर कम से कम एक बार तो जरूर खेलना चाहते थे, पर पीलू ने बताया, “मम्मी ने अभी इसमें सेल नहीं डाले हैं। मैं अभी मम्मी से सेल लेकर आता हूं, फिर सब मिलकर उससे खेलेंगे।” यह सुनकर उसके सभी दोस्त बहुत खुश हो गए। पीलू ने वीडियो गेम को उनके बीच में रखा और मम्मी से सेल लेने कमरे से बाहर चला गया। हंसी -मजाक में अप्पू को ध्यान ही नहीं रहा कि वीडियो गेम जमीन पर रखी है। वह जैसे ही खड़ा हुआ, उसका पैर वीडियो गेम पर पड़ गया। कटाक की आवाज के साथ ही वीडियो गेम के कई टुकड़े हो गए। अप्पू यह देखकर बहुत घबरा गया और वह कुछ बोलता, इसके पहले ही हाथ में सेल पकड़े पीलू कमरे में आ गया। अपने नए वीडियो गेम को टूटा देखकर उसने कुहराम मचा दिया और जोर-जोर से रोने लगा। पीलू को सभी दोस्तों के साथ-साथ उसकी मम्मी ने भी बहुत समझाने की कोशिश की, पर पीलू ने अप्पू को घर से तुरंत निकल जाने के लिए कहा। पीलू के दोस्तों को वीडियो गेम टूटने का दुख तो बहुत था, पर बेचारे अप्पू को उसकी अनजाने में हुई गलती के लिए इतना डांटा जाना बहुत बुरा लग रहा था। अप्पू बार-बार माफी मांग रहा था, पर पीलू ने उसे घर से निकालकर ही दम लिया। पीलू की मम्मी ने उसे डांटते हुए कहा, “वह तुमसे भी टूट सकती थी और तुमने भी आज तक ढेर सारे खिलौने तोड़े हैं। गलती तो किसी से भी हो सकती है।” पर पीलू बिना कोई जवाब दिए वापस अपने कमरे में चला गया। सभी दोस्तों का मन भी अब वहां रुकने का बिल्कुल नहीं कर रहा था, इसलिए वे सब भी अपने-अपने घर चले गए। अप्पू बेचारा अब अकेला ही बैठा रहता था, अगर उसका कोई दोस्त उसे बुलाने भी आता, तो वह मना कर देता था। अप्पू बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि उसकी वजह से किसी का भी कोई नुकसान हो। आज अप्पू बैठा हुआ पीलू के बारे में सोच ही रहा था कि अचानक वहां से मोंटू बंदर निकला और बोला, “अप्पू, तुम यहां अकेले बैठे क्या कर रहे हो? पता है, आज पीलू का जन्मदिन है।” अप्पू यह सुनकर धीरे से मुसकरा दिया। तभी मोंटू बोला, “पता है, पीलू बहुत दुखी है। उसने हम सबके लिए रेन डांस का कार्यक्रम रखा था, पर पता नहीं कैसे अब उसके यहां का फव्वारा ही नहीं चल रहा।” “अरे! तुम कहां दौड़े चले जा रहे हो?” अप्पू ने पूछा। “मै तो जा रहा हूं टिंकू लोमड़ी को बुलाने के लिए, वह प्लंबर है ना।” “पर टिंकू तो तीन दिन के लिए बाहर गया है। उसने मुझे कल ही बताया था।” “ओह! बेचारा पीलू तो बहुत दुखी हो जाएगा। उसने तो रेन डांस के लिए वहां पर रंग-बिरंगे छाते, प्लास्टिक की बहुत सुंदर मछलियां और बहुत बड़ा सा लाउडस्पीकर भी लाकर रखा है, ताकि हम सब खूब मस्ती कर सकें।” अप्पू भी यह सुनकर दुखी हो गया। तभी मोंटू बोला, “अच्छा, मै अब चलता हूं।” अप्पू कुछ कहे, इसके पहले ही मोंटू उछलता-कूदता हुआ वहां से चला गया। अप्पू कुछ देर सोचता रहा, फिर वह भी पीलू के घर की ओर चल पड़ा। जब अप्पू पीलू के घर पहुंचा, तो उसके सभी दोस्त बाहर ही पीलू के साथ फव्वारे के पास मुंह लटकाए खड़े थे। सभी दोस्त आश्चर्य से अप्पू को देखे जा रहे थे, क्योंकि उन्हें लगा था कि अप्पू पीलू से बहुत नाराज होगा और फिर पीलू ने उसे बुलाया भी नहीं था। तभी अप्पू ने इशारे से मोंटू को अपने पास बुलाया और उसके कान में धीरे से कुछ कहा। उसकी बात सुनकर मोंटू खुश होकर दौड़ता हुआ गया और खूब तेज आवाज में म्यूजिक चला दिया। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही अप्पू ने फव्वारे के पास पड़े टैंक से सूंड में पानी भरकर सबके ऊपर फेंकना शुरू कर दिया। पानी की ठंडी बौछारों में भीगकर खुशी की मारे सभी नाचने-कूदने लगे। सभी दोस्त अब गाने के साथ-साथ खूब उछल-उछलकर नाच रहे थे और मस्ती कर रहे थे। पीलू की आंखों में अप्पू की अच्छाई देखकर आंसू आ गए। वह भीगी आंखों से अप्पू के पास आया तो अप्पू उसके ऊपर पानी फेंकता हुआ बोला, “हैप्पी बर्थडे।” “थैंक यू।” कहते हुआ पीलू ने कसकर अप्पू को गले लगा लिया।’’